सेक्स हमारे जीवन की एक ऐसी क्रिया है जिसको करते समय हमारे शरीर का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा हो जो काम न करता हो, ये जीवन की सबसे आनंदायक क्रिया होती है। शादी होने के बाद सेक्स ही पति और पत्नी में प्यार बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन है। लेकिन कभी-कभी सेक्स ही तलाक़ का कारण भी बन जाता है।जब पति-पत्नी के बीच सेक्स सम्बन्धों में कमी या सेक्स करने में असमर्थता उतपन्न हो जाती है तो पत्नी को संतुष्ट नही कर पाते, जिससे स्त्री चिड़चिड़ी व गुस्सेल हो जाती है। आपस में झगड़े शुरू हो जाते हैं और नोबत तलाक़ तक आ जाती है। जब पुरुषों में नपुंसक्ता का भ्रम पैदा हो जाता है और वो अपने आपको सेक्स करने में असमर्थ महसूस करने लगते हैं जबकि उनमें कोई सेक्स कमज़ोरी नही होती है इससे वो अपने दिमाग में इस बात को बिठा लेते हैं। उन्हें भ्रम हो जाता है कि वो नपुंसकता का शिकार हो गए हैं। इससे उनके शयनकक्षो का आनंद खत्म हो जाता है। आजकल नपुंसक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो कि चिंता जनक है। अब तो इस बीमारी के रोगी शहर ही नही गाँव में भी मिल रहे हैं। ये रोग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसमें स्तंभन शक्ति का अभाव हो जाता है और सम्भोग से पहले ही या सेक्स के बारे में सोचने भर से ही वीर्य स्खलित हो जाता है या फिर लिंग में तनाव ही नही आता है। पुरुष इस व्याधि को दूर करने के लिये कामोद्दीपक औषधियों का सेवन करने लगता है। जिससे इसके काफी दुष्प्रभाव उनके शरीर पर पड़ते हैं और व इस दवा के आदि हो जाते हैं। उनके लिंग में बिना इस दवा के तनाव नही आता है।
कई बार स्थिति तब और खराब हो जाती है जब व्यक्ति सेक्स कर रहा होता है और रक्त प्रवाह लिंग में खत्म हो जाता है। ऐसे में उसे अपनी पार्टनर के समक्ष शर्मिंदा होना पड़ता है।
पुरुष लिंग और उसकी बनावट:
पुरुष के सेक्स चक्र में चार चरण होते हैं। कामेच्छा, इंद्रिय में पर्याप्त तनाव, स्त्री जननांग में प्रवेश और चरम सीमा पर पहुंचना। नपुंसकता के बारे में जानने से पहले हमे ये जानना आवश्यक है कि ये चरण कैसे पुरे होते हैं तथा हमारे लिंग में तनाव कैसे आता है और हमारे लिंग की बनावट केसी होती है
कुदरत ने स्त्रियों व पुरुषों के योन अंगों की रचना प्रकार की है दोनों ही सेक्स का आनंद ले तथा सन्तानोत्पत्ति के लिये स्त्री की योनि व पुरुष के लिंग की विशिष्ट रचना सहायक सिद्ध होती है।सेक्स क्रिया के समय पुरुष का लिंग कड़ा व लंबा हो जाता है जिससे इसका स्त्री योनि में आसानी से प्रवेश हो सके।स्त्री योनि की दीवार और कड़े लिंग के आपसी घर्षण से दोनों पक्षों को एक अनुपम अनन्द का अनुभव होता है तथा दोनों के यौन अंगों से द्रव्य निकलता जिससे सेक्स उन्माद का अंत होता है।यौन क्षमता इन्ही दो बातों पर निर्भर होती है-लिंग का का कड़ा व बड़ा होना तथा वीर्ये का स्खलन या निकलना
जैसा आप लोग समझ चुके हैं पुरुष लिंग का उत्थान (तनाव) लिंग मुख्य रूप से दो बड़ी मांसपेशियों के कारण आता है, जो दो नालियों से बना होती हैं। जिनके नाम कार्पोरा कैवर्नोसा(Carpora Cavernosa) हैं।
इन दोनों नलिकाओं में स्पंज की तरह नरम(Spongy), स्थितिस्थापक (Eibro Elastic) और लम्बाई में बढ़ सकने वाली (Erectile) पेशियाँ होती हैं। जिनका मुख्य कार्य लिंग में तनाव लाना है .इन दोनों नलिकाओं के बीच से एक छोटी नाली निकलती है,जो मूत्र एवं शुक्र दोनो का वहन करती है तथा एक “कॉर्पस स्पोंजियोसम”(Corpus Spongiosum) नामक मांसपेशी होती है जो इस नाली के चारो तरफ होती है।लिंग जब शांति की स्थिति में होता है तो उसका कार्य केवल मूत्र का विसर्जन करने तक सीमित होता है। सेक्स के दौरान उतेजित स्थिति में पुरुष के मन के आदेश (नर्वस स्टिमुलेशन) से उन दोनों नलिकाओं में रक्त का संचार होने लगता है जिससे ये दोनों नलिकायें बड़ी व सख्त हो जाती हैं और लिंग में तनाव आ जाता है। जैसे किसी रबड़ के गुब्बारे में हवा भरने से उसका साइज बढ़ जाता है, ठीक इसी तरह लिंग में रक्त भरने से उसका आकार भी बड़ा हो जाता है। लिंग के इस तनाव को इरेक्शन कहते हैं। लिंग में तनाव या उत्थान का मुख्य कारण लिंग में रक्त का प्रवाह है। जब योनोत्तेजना खत्म हो जाती है तो लिंग में भरा हुआ खून “पेनाइल” नमक नसों के माध्यम से बाहर निकल जाता है और लिंग सिकुड़ कर पहले की तरह छोटा हो जाता है। अगर किसी कारणवश लिंग में रक्त का बहाव सही तरह से या पूर्ण रूप से न हो तो लिंगोत्थान(इरेक्शन) में समस्या हो जाती है। लिंग का ये बढ़ना व घटना हमारे नर्वस स्टिमुलेशन (Nervous Stimulation) या मानसिक संवेदना पर आधारित होता है। जब ये संवेदना किसी कारणवश नही मिलती है तब उत्थान क्रिया नही होती है।
नपुंसकता क्या है?
लिंग में पूर्ण या आंशिक रूप से उत्थान या तनाव न आना नपुंसकता या नामर्दी कहलाता है। अर्थात पुरुष के योनोत्तेजित होने पर भी सम्भोग के लिए लिंग में पर्याप्त तनाव या उत्थान ना होना ,या फिर तनाव आने के बावजूद लिंग का जल्दी सिकुड़ना या तनाव ख़त्म हो जाना या फिर वीर्य का बिना तनाव ही जल्दी निकल जाना नपुंसकता कहलाता है”। इसे कई नामों से जाना जाता है। जैसे-नामर्दी, ध्वजभंग तथा अंग्रेजी में इम्पोटेंसी (Impotency) या इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) इसमें रोगी सेक्स करने में असमर्थ हो जाता है।इस रोग में मैथुन करने की शक्ति या तो कम हो जाती है या फिर बहुत घट जाती है।इस रोग में पुरुष को सेक्स या सम्भोग करने की इच्छा तो हर समय रहती पर वो इसे करने में असमर्थ होता है। अधिकतर नपुंसक्ता स्थाई होती है, किन्तु मनुष्य का मन भय और बेचैनी से इस कदर तनावग्रस्त होता है कि वो सेक्स क्रिया में पूरी तरह से ध्यान नही लगा पाता इसके दिल में यही सनक रहती है कि वो इन सब क्रियाओं में असमर्थ है ।इसी डर के कारण उसके लिंग में तनाव नही आ पाता है।लिंग में तनाव न होने के कारण वो सेक्स क्रिया का आनंद नही ले पाता है तथा अपनी पत्नी को भी सेक्स आनंद से वंचित रखता है।
नपुंसकता से सम्बंधित आंकड़े:
आंकड़े बताते हैं कि हर 100 पुरुषों में से 10 पुरुष नपुंसक्ता का शिकार हैं। एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एक शोध में यह आशंका व्यक्त की गई है जिसमें 2025 तक नपुंसक लोगों की सर्वाधिक संख्या भारत में होगी। इसके लिए जिम्मेवार कारणों में ग्लोबल वार्मिंग समेत भारतीयों की अनियमित जीवन शैली है। हाल में स्वीडन के गोटेबर्ग शहर में संपन्न दसवीं ‘वर्ल्ड कांग्रेस फॉर सेक्सुएल हेल्थ’ में बताया गया कि दुनिया में नपुंसकता के शिकार अधिकतर व्यक्ति एशिया, अफ्रीका और उत्तर अमेरिका में हैं।
नपुंसक्ता के प्रकार:
नपुंसक्ता मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-
1 अनुवांशिक या जन्मजात(Genetics)
2 मानसिक(Psychological and other Reason) व अन्य कारणों से उतपन्न नपुंसकता ।
Myth-मिथ शुक्राणुओं की कमी की वजह से कभी नपुंसकता नहीं आती यहां तक कि नपुंसकता के मामले में शुक्राणुओं की जांच कराना बेकार है।
नपुंसकता के लक्षण
- वेसे तो नपुंसकता की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है फिर भी कुछ लक्षण निम्न हैं – अपने पार्टनर से सेक्स करने की बात सोचकर ही स्खलित हो जाना या नाइटफ़ॉल अधिक होना नपुंसकता की निशानी है ।
- संभोग के समय लिंग शिथिल रहना या उसका देर तक कठोर न रहना।लिंग उत्थान या तनाव पाने या तनाव को बनाये रखने में परेशानी ।
- कामेच्छा में कमी या पूरी तरह खत्म होना ।
नपुंसकता उतपन्न होनें के प्रमुख कारण:
- अत्यधिक मैथुन
- गुदा मैथुन
- मस्तिष्क तथा स्नायु दुर्बलता
- बहुत लंबे समय तक सेक्स क्रिया न करने से
- ह्रदय विकार या दिल की कमजोरी-
- शरीर के अन्य अंगों में विकार होने से-
- मोबाइल ,लैपटॉप तथा रेडिएशन आदि के कारण
- उम्र का प्रभाव
- हॉर्मोंस डिसऑर्डर्स
- न्यूरॉलजी से जुड़ी समस्याएं
- मानसिक प्रभाव
- दवाओं के दुस्प्रभाव
- लिंग में ख़ून बहाव का न होना
- आपसी इश्ते में दुरी
- नशाखोरी या धुम्रपान
- स्टेरॉयड का सेवन
नपुंसक्ता जानने के उपाय
ये जानना बहुत ज़रूरी हो जाता है कि रोगी वास्तव में इस बीमारी से ग्रसित है भी या फिर सिर्फ मानसिक तौर पर ही अपने आपको नपुंसक समझ रहा है या व्यक्ति किस प्रकार की नपुंसकता का शिकार है।कोनसा व्यक्ति नपुंसक है ये जानने के लिये व्यक्ति को आधुनिक प्रयोगशाला में एक सिद्धान्त के अनुसार उसके लिंग अध्ययन किया जाता है।इस टेस्ट में पुरुष ले लिंग को उसकी गहरी नींद में चंच जाता है क्योंकि गहरी नींद में पुरुष का लिंग स्वाभावतः खड़ा या उत्थित होता है।यदि उसका लिंग नींद में पिरि तरह आए उत्थित या खड़ा होता है तो उसको मानसिक नपुंसकता है और अगर लिंग खड़ा या इरेक्ट नही होता है तो फिर व्यक्ति कोई शारारिक दोष है।।मानसिक तनाव से ग्रसित व्यक्ति का लिंग जागृत अवस्था में प्रत्यक्ष सम्भोग क्रिया में उत्थित नही होता,किन्तु नींद में सामान्यतः उत्थित होता है।प्रयोगशाला में व्यक्ति को तीन रात सुलाया जाता है।इसके लिए
- स्वयं परीक्षण
- प्लेथ्यस्मोग्राफी
- थर्मोग्राफी
- अल्ट्रा साउंड
- खून व पेशाब की की जांच
- शारीरिक व मनोवैज्ञानिक परीक्षण आदि ।
नपुंसकता का उपचार:
मानसिक तौर पर नपुंसक रोगी का इलाज-
नपुंसक रोगियों में लगभग 80 प्रतिशत रोगी मानसिक तौर पर नपुंसक होते हैं।जिनको नींद लाने वाली दवाएं देकर उन्हें मानसिक चिंताओं से दूर रखा जाता है।कुछ रोगियों से मनोचिकित्सक खुलकर बात करते हैं और उनकी समस्याओं को सुनकर पता लगाते हैं और बाद में उसका सही हल बताते हैं तथा सही दवा भी देते हैं।
शारीरिक नपुंसकता
शारारिक नपुंसकता की चिकित्सा में लिंग की और रक्त प्रवाह बढ़ाने वाली दवाओं का जेसे वियाग्रा आदि दवाओं तथा अन्य तरह की नपुंसकता में रोगानुसार दवा और ऑपरेशन आदि का सहारा लिया जाता है
आयुर्वेद में वर्णन किया गया है जो व्यक्ति जन्मजात नपुंसक होता है या कई सालों से लिंग में उत्थान नही आता है प्रायः उसका इलाज संभव नही होता है।
कुछ पुरुषों में सुबह के वक्त, मूत्र करते समय या हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) के वक्त पर्याप्त उत्तेजना आती है ,पर उसे दूसरी स्थिति में यानि सेक्स करते समय उत्तेजना नहीं आती है तो यह शारीरिक नपुंसकता नहीं बल्कि मानसिक नपुंसकता मानी जाती है.
- नपुंसकता में प्रयोग होने वाली एलोपैथिक औषधियां से
- प्राकृतिक व् हर्बल औषधियां से
- नपुंसकता में प्रयोग होने वाली प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां से
- नपुंसकता में प्रयोग होने वाली होमियोपैथी औषधियाँ से
- यूनानी औषधियाँ से
- हार्मोन औषधियाँ से
- कीगेल व सामान्य व्यायाम से
- लैप व तैल
- मनोवैज्ञानिक परामर्श से
- पेनिल(लिंग) प्रत्यारोपण
- प्रोस्टेट मसाज
- एक्यूपंक्चर विधि से
- खान-पान व् रहन-सहन की आदत में बदलाव लाने से